बाल भवन के पास बनाया गया टायलेट।
HighLights
कंपनी मनमाने तरीके से इन टायलेट का उपयोग कर रही हैपीपीपी माडल पर पुणे की कंपनी कर रही है निर्माणरेस्टोरेंट के नाम को खोलकर किचन शुरू करने की तैयारी की जा रही है
नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। शहर में दूसरे चरण के अंतर्गत बनाए जा रहे स्मार्ट टायलेट फिर विवादों में हैं। इंजीनियरों की लापरवाही के कारण जहां बाल भवन स्थित टाय लेट में छज्जे में लचक और पत्थरों की गुणवत्ता खराब निकली, तो दूसरी तरफ अब कंपनी मनमाने तरीके से इन टायलेट का उपयोग कर रही है।
कंपनी ने अचलेश्वर के नजदीक बनाए गए स्मार्ट टायलेट का निर्माण पूरा कराकर उसे कार्पोरेशन को हैंडओवर करने से पहले ही न सिर्फ एक रेस्टोरेंट को आवंटित कर दिया, बल्कि मसाला लैब के नाम से इसका प्रचार भी शुरू करा दिया।
मामले की जानकारी मिलने पर स्मार्ट सिटी सीईओ नीतू माथुर ने कंपनी को ना सिर्फ नोटिस जारी किया, बल्कि चेतावनी भी दी गई कि हैंडओवर के बाद ही किचन या रे स्टोरेंट शुरू करे लेकिन रविवार को फिर से रेस्टोरेंट के नाम को खोलकर किचन शुरू करने की तैयारी की जा रही है। कार्पोरेशन के उपयंत्री अभिषेक त्रिपाठी के अनुसार कंपनी को पूर्व में नोटिस जारी किया था। अब दोबारा चैक कराकर प्रचार ढंकवाया जाएगा।
पीपीपी माडल पर पुणे की कंपनी कर रही है निर्माण
पहले चरण में 10 टायलेट के लिए कार्पोरेशन ने लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये की राशि खर्च की थी। दूसरे चरण में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) माडल पर टायलेट बनाए जा रहे हैं। इसमें पुणे की अशोका डवलपर्स को अपनी लागत लगाकर निर्माण करना है। हैंडओवर के बाद इनका आवंटन कंपनी द्वारा ही कर किराय वसूला जाना है। कार्पोरेशन को सिर्फ तीन से साढ़े तीन हजार ही मिलने हैं।
इन स्थानों पर हो रहा निर्माण
वर्तमान में हजीरा चौपाटी, हजीरा चौराहे के पास, चावड़ी बाजार, अचलेश्वर मंदिर के पास, जल विहार, छत्री मंडी पर टायलेट निर्माण पूर्ण हो चुका है। बाल भवन, गजराराजा मेडिकल कालेज, हजार बिस्तर अस्पताल और कलेक्ट्रेट रोड पर निर्माण कार्य अभी चल रहा है।