बिलासपुर। बहुचर्चित शराब कंपनी के मुख्य न्यायाधीश ने आज फैसला सुनाते हुए सभी 13 नियुक्तियों को खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट ने अंतरिम राहत का पूर्व आदेश भी रद्द कर दिया है. उच्च न्यायालय का मानना है कि सबूतों के आधार पर एच.डी. और ए.सी.बी.-ई.ओ.डब्ल्यू. द्वारा दस्तावेज दर्ज किये गये हैं। इसे भी पढ़ें : रायपुर समाचार: चढ़ावा का खेल या कुछ और? रायपुर तहसील में 31 हजार 838 एपिसोड ऐसा है जिसमें नामांतरण की जरूरत नहीं है
कोलकाता के लेकसीबी ए और ईओडब्ल्यू के पूर्व दिग्गजों यश टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा, अल्ला ढेबर, विधु गुप्ता, निदेश पुरोहित, निरंजन दास और पूर्व त्रियाल के खिलाफ़ क्रांतिकारी दर्ज हैं। सभी चारों ने अपने खिलाफ दर्ज कराए गए दस्तावेजों को उच्च न्यायालय में अलग-अलग दस्तावेजों में दर्ज कराया था। उच्च न्यायालय ने पिछले 10 जुलाई को सभी स्टाइक को सुनने के बाद सुरक्षित निर्णय लिया था, जिस पर आज निर्णय आया है।
उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति न्यायिक अग्रवाल की पीठ ने इन आवेदनों की सुनवाई की थी। राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता विवेक शर्मा ने जिरह की थी. उच्च न्यायालय में ईओडब्ल्यू-एसीबी के खिलाफ छह याचिकाएं और सात याचिकाएं शामिल हैं। इन दाखिलों में शराब घोटाले के मामले में एचडी द्वारा पुनः आरंभ की जा रही कार्यवाही और ईओडब्ल्यू-एसीबी की ओर से दर्ज दस्तावेजों को चुनौती देते हुए उन्हें खारिज करने की याचना की गई थी।
इनमें से एक याचिका की सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने अनिल टुटेजा को अस्थायी राहत प्रदान की थी, जिसे अब रद्द कर दिया गया है। अतिरिक्त महाधिवक्ता विवेक शर्मा के अनुसार, कांग्रेस सरकार में अम्बाल्ट ढेबर ने अपनी पहुंच का उपयोग करते हुए वरिष्ठ उपाध्यक्ष को सीएसएमसीएल (सीएसएमसीएल) का प्रबंध निदेशक नियुक्त किया था। इसके बाद अधिकारियों, मुसलमानों और राजनीतिक रसूख वाले लोगों के सिंडिकेट के माध्यम से 2161 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।
छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की जांच कर रही एचडी ने एसीबी में दस्तावेज दर्ज किए हैं। दर्ज में दो हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के आंकड़े की बात कही गई है। ईडी ने अपनी जांच में पाया है कि सांख्यिकी विभाग के एमडी एट्रिब्यूटर अनिल टुटेजा, सांख्यिकी विभाग के प्रबंध निदेशक और सहायक निदेशक के रूप में कंपनी के अवैध सिंडीकेट को अंजाम दिया गया था। एसीबी के अनुसार वर्ष 2019 से 2022 तक सरकारी शराब घोटाले से अवैध शराब डुप्लिकेट होलोग्राम अपलोड किया गया था, जिससे शासन को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हुआ है।
शराबखोर की जांच करते हुए एचडी ने सबसे पहले मई के शुरुआती सप्ताह में बयाबी ढेबर को गिरफ्तार किया था। एडी के अनुसार, एंटीबायोटिक्स ढेबर ने साल 2019 से 2022 तक दो हजार करोड़ रुपये का अवैध धन शराब के काम से जन्म लिया। इसे दुबई में अपने दोस्त विकास अग्रवाल के जरिए खपाया। एडी की ओर से ये बड़ी बात कही गई कि अब्बास ने अपने साथ जुड़े लोगों को परसेंटेज के जरिए पैसे बांटे और बाकी की बड़ी बातों को अपने राजनीतिक आकाओं को दिया है। इसके बाद इस मामले में साजोसामान विभाग के अधिकारी एपी ट्रिप, मॅसिल त्रिलोक ढिल्लन, नितेश पुरोहित, अरविंद सिंह को भी पकड़ा गया था।
उत्तर प्रदेश ओपीध्यक्ष (एसटीएफ) की पूछताछ में अय्यला ढेबर और एपी त्रियाल ने बताया कि यह अकादमी की सबसे बड़ी बेनीफिशियरी शराब निर्माता कंपनी है। विधु की कंपनी मेसर्स होलोग्राफी सिक्युरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड को होलोग्राम बनाने का टेंडर मिला था। उसी से डुप्लीकेट होलोग्राम डिस्टिलरीज़ भेजा गया था। वहां से अवैध शराब पर इन होलोग्राम का अनुमान लगाया गया था.
एडीएच और ईओडब्ल्यू ने सांता डिस्टिलरीज के इंजीनियरों और कंपनियों से संबंधित लोगों को भी आमंत्रित किया है। हालाँकि, अब तक किसी की गर्लफ्रेंड नहीं बनी है। उच्च न्यायालय के आज के फैसले के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि फेल होलोग्राम मामले में अब शराब निर्माता कंपनी पर भी जल्द कार्रवाई हो सकती है।