नई दिल्ली: बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि जब दोनों देशों के बीच दोस्ती के हर प्रतीक पर हमला हो रहा है, तब भारत में लोगों के लिए उदासीन बने रहना चुनौतीपूर्ण है।
बांग्लादेश में उथल-पुथल पर प्रकाश डालते हुए थरूर ने कहा कि यह देखना दुखद है कि जिसे कभी लोकतांत्रिक क्रांति के रूप में मनाया जाता था, वह अराजकता और अल्पसंख्यकों तथा हिंदू अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर हिंसा में बदल रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि भारत को बांग्लादेश के लोगों के साथ खड़ा होना चाहिए।
एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, थरूर ने कहा, “यह अत्यंत दुखद है कि जिसे लोकतांत्रिक, लोकप्रिय क्रांति कहा जा रहा था, वह अराजकता और अल्पसंख्यकों तथा हिंदू अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर की जा रही हिंसा में बदल गई है… हमें भारत में बांग्लादेश के लोगों के साथ खड़ा होना चाहिए। लेकिन जब बांग्लादेश के साथ भारत की मित्रता के हर प्रतीक पर हमला किया जा रहा है, तो हमारे लिए उदासीन रहना कठिन है।”
थरूर ने बढ़ा-चढ़ाकर बताया कि किस तरह जारी हिंसा के दौरान कई संस्थानों में तोड़फोड़ की गई, जिससे भारत के लोगों के लिए यह “बहुत नकारात्मक” संकेत बन गया।
उन्होंने कहा, “भारतीय सैनिकों के सामने पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण की प्रतिमा को तोड़ दिया गया है। भारतीय सांस्कृतिक केंद्र को नष्ट कर दिया गया है और इस्कॉन मंदिर सहित कई संस्थानों में तोड़फोड़ की गई है। ये सभी चीजें भारत के लोगों के लिए बहुत नकारात्मक संकेत हैं। इस तरह से सामने आना बांग्लादेश के हित में भी नहीं है।”
थरूर ने कहा, “उन्हें कहना चाहिए कि यह उनके लोकतंत्र की बहाली के बारे में है, लेकिन इस प्रक्रिया में आप अल्पसंख्यकों और विशेष रूप से एक अल्पसंख्यक के खिलाफ हो जाते हैं, जो कि अनिवार्य रूप से हमारे देश और अन्य जगहों पर देखा जाएगा और नाराजगी का विषय होगा…”
5 अगस्त को शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद बांग्लादेश अस्थिर राजनीतिक स्थिति का सामना कर रहा है। सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग को लेकर छात्रों द्वारा मुख्य रूप से किए गए विरोध प्रदर्शन ने सरकार विरोधी प्रदर्शन का रूप ले लिया है।