पुणे में चल रहे पोर्श हिट-एंड-रन मामले में अभियोजन पक्ष ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए आरोप लगाया है कि न केवल 17 वर्षीय आरोपी बल्कि उसके दो दोस्तों के रक्त के नमूनों की भी जांच के नतीजों में हेरफेर करने के लिए अदला-बदली की गई थी। कथित तौर पर यह सरकारी ससून अस्पताल में किया गया था ताकि यह झूठा दिखाया जा सके कि घटना के समय शामिल कोई भी व्यक्ति शराब के नशे में नहीं था।
घटना का विवरण
19 मई को हुई इस घटना में दो 24 वर्षीय आईटी पेशेवरों की दुखद मौत हो गई, जिन्हें पुणे के कल्याणी नगर इलाके में नशे में धुत नाबालिग द्वारा चलाई जा रही पोर्शे ने टक्कर मार दी थी। अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया है कि आरोपी के माता-पिता ने एक डॉक्टर के साथ मिलकर अपने बेटे को कानूनी नतीजों से बचाने के लिए रक्त के नमूनों के साथ छेड़छाड़ करने की साजिश रची।
आरोपी डॉक्टर
विशेष अभियोक्ता शिशिर हिरे ने अदालत को बताया कि डॉ. हेलनर ने कानूनी पहलुओं से पूरी तरह अवगत होने के बावजूद नाबालिग और उसके दोस्तों के रक्त के नमूनों की कथित रूप से अदला-बदली की। अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि यह सब 2.5 लाख रुपये के बदले में किया गया, जिसकी साजिश नाबालिग के माता-पिता और एक अन्य डॉक्टर डॉ. टावरे ने रची थी।
अभियोक्ता ने एक प्रशिक्षु डॉक्टर का बयान पेश किया, जिसे आरोपी की एक दोस्त शिवानी अग्रवाल से रक्त के नमूने एकत्र करने का निर्देश दिया गया था। प्रशिक्षु ने दावा किया कि नाबालिग के रक्त को उसकी मां के रक्त से बदल दिया गया था।
अभियोजक के अनुसार, डॉ. हेल्नोर ने बाद में नकदी को सुरक्षित रखने के लिए अपने एक सहकर्मी को दे दिया तथा इस बात पर जोर दिया कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है।
दुर्घटना के एक प्रत्यक्षदर्शी ने गवाही दी कि नाबालिग घटनास्थल पर नशे में था, भीड़ द्वारा कार से खींचे जाने के बाद वह खड़ा होने के लिए संघर्ष कर रहा था। इसके बावजूद, डॉ. हेलनर द्वारा कुछ ही घंटों बाद जारी की गई प्रारंभिक चिकित्सा रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि नाबालिग ने शराब नहीं पी थी।