प्रतीकात्मक तस्वीर।
HighLights
जिला उपभोक्ता आयोग ने सुनाया निर्णय।30 वर्षीय युवा ने गलती से पिया था फिनायल।वह किडनी की बीमारी से परेशान है।
नवदुनिया प्रतिनिधि,भोपाल। अक्सर लोग स्वास्थ्य बीमा इसलिए लेते हैं,ताकि इलाज के दौरान उन्हें मदद मिल सके। ऐसे ही एक मामले में बीमा अवधि में इलाज होने के बावजूद उपभोक्ता को बीमा की राशि नहीं मिली। एक उपभोक्ता ने गलती से फिनाइल पी लिया और उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज में खर्च हुई राशि को बीमा कंपनी ने देने से इंकार कर दिया।
मामला जिला उपभोक्ता आयोग में पहुंचा। आयोग के अध्यक्ष योगेश दत्त शुक्ल व सदस्य डा. प्रतिभा पांडेय की बेंच ने बीमा कंपनी को दोषी ठहराते हुए इलाज में खर्च हुई राशि के साथ-साथ मानसिक क्षतिपूर्ति राशि देने का भी आदेश दिया।
दरअसल मीनाल रेसिडेंसी निवासी मृणाल डेविड थामस ने जिला उपभोक्ता आयोग में 2021 में यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंलि के खिलाफ याचिका लगाई। इसमें शिकायत की थी कि उन्होंने एक सितंबर 2015 से 31 अगस्त 2016 तक के लिए बीमा लिया था। 30 अप्रैल 2016 को शाम छह से सात बजे के बीच बिजली कट जाने के कारण अंधेरे में दवाई के बदले फिनाइल पी लिया था।
उसके बाद उन्हें तत्काल नेशनल अस्पताल में भर्ती किया गया और उसके इलाज में 68,800 रुपये का खर्च आया, लेकिन बीमा कंपनी ने यह कहकर बीमा राशि निरस्त कर दिया कि उपभोक्ता ने जानबूझकर फिनाइल पी थी। मामले में तीन साल बाद आयोग ने इस तर्क को खारिज कर दिया और सेवा में कमी का दोषी ठहराते हुए बीमा कंपनी पर 76,800 रुपये का हर्जाना लगाया।
बीमा कंपनी का तर्क-जानबूझकर पी लिया था फिनाइल
बीमा कंपनी ने तर्क रखा कि उपभोक्ता की गलती थी वह खुद को हानि पहुंचाने के लिए जानबूझकर फिनाइल पी ली है। साथ ही बीमा इंटरनल इंजुरी एवं ड्रग्स व अल्कोहल के आधार पर निरस्त किया गया। वहीं उपभोक्ता के अधिवक्ता ने तर्क रखा कि वह 30 वर्ष का युवा था और किडनी की बीमारी से पीड़ित था।इस कारण वह गलती से दवाई के बदले फिनाइल पी लिया था। आयोग ने बीमा कंपनी के तर्क को खारिज कर दिया।
इनका कहना है
उपभोक्ता के किडनी में समस्या थी। इस कारण वह पहले ही दवाईयां ले रहा था।उस दिन बिजली कट हुई तो उपभोक्ता ने अंधेरे में गलती से दवाई के बदले फिनाइल पी ली। इस मामले में बीमा कंपनी अपने तर्क को साबित नहीं कर सकी। इस कारण बीमा राशि के साथ क्षतिपूर्ति राशि देनी होगी।
हार्दिक श्रीवास्तव, उपभोक्ता के अधिवक्ता