HighLights
सभी निजी डॉक्टर ब्रांडेड दवा लिख रहे हैंप्रदेश में जेनेरिक दवाओं की बिक्री कम प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना के अनुसार हैं
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के अंतर्गत पिछले पांच वर्ष में 44 करोड़ रुपये की जेनेरिक दवाएं रोगियों ने खरीदीं। वर्ष 2019-20 में चार करोड़ 58 लाख रुपये की दवाएं इन केंद्रों से खरीदी गई थीं। जन औषधि केंद्र बढ़ने और लोगों में जागरूकता आने से यह आंकड़ा लगातार बढ़ते हुए 13 करोड़ तक पहुंच गया है, फिर भी अन्य बड़े राज्यों की तुलना में हम बहुत पीछे हैं।
खासकर दक्षिण के राज्यों में इन दवाओं का उपयोग तेजी से बढ़ा है। 2019-20 से 2023-24 के बीच पांच वर्षों में केरल में 630 करोड़, कर्नाटक में 563 करोड़, तमिलनाडु में 307 करोड़ और बंगाल में 228 करोड़ रुपये की जेनरिक दवाएं लोगों ने इन केंद्रों से खरीदीं।
देशभर की बात करें तो इस अवधि तीन हजार 548 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ जो वर्ष 2018-19 में 313 करोड़ रुपये था। यह आंकड़े प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना के अनुसार हैं।
दवाएं समान गुणवत्ता की
उल्लेखनीय है इन केंद्रों में ब्रांडेड दवाओं की तुलना में पांच से 10 गुना तक सस्ती दवाएं समान गुणवत्ता की मिलती है। प्रदेश में सरकारी अस्पताल छोड़कर अधिकतर सभी डॉक्टर जेनरिक दवाएं लिख रहे हैं, जिससे दवाओं की खपत कम है।
पीएमबीजेपी की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 403 जन औषधि केंद्र संचालित हैं, जबकि देशभर में 12, 616 केंद्र हैं। अन्य राज्यों की तुलना में प्रदेश में दवाओं की कम बिक्री एक वजह यह है कि सभी दवाएं रोगियों को नहीं मिल पाती हैँ। उन्हें कुछ दवाएं दूसरी दुकान से खरीदना पड़ता है।
एम्स को छोड़ दें तो अन्य सरकारी अस्पतालों में ओपीडी में आने वाले रोगियों को अस्पताल से दवाएं मिल जाती हैं, उन्हें खरीदना नहीं पड़ता। एम्स में रोगियों को अस्पताल से दवाएं नहीं मिलती। अधिकतर रोगी अमृत फार्मेसी से तो कुछ बाजार से ब्रांडेड दवाएं खरीदते है। ओपीडी में आने वाले रोगियों में बमुश्किल पांच प्रतिशत ही जन औषधि केंद्र से दवाएं लेते हैं। सभी जिलों में अस्पताल के बाहर केंद्र खुले हैं पर यह बाजारों की जगह कालोनियों में हैं, जिससे कम लोग पहुंच पाते हैं।
प्रदेश में जन औषधि केंद्रों से दवाओं की बिक्री वर्ष
दवाओं की बिक्री (राशि-करोड़ रुपये में) 2019-20 — 4.58 2020-21 — 6.20 2021-22 — 8.47 2022-23 — 11.10 2023-24 — 13.84