मांडू या मांडवगढ़ समुद्र तल से लगभग 2000 मीटर की ऊँचाई पर विंध्याचल पहाड़ियों में बसा एक छोटा सा शहर है। करीब एक हज़ार साल पहले मांडू शहर को दुनिया के सबसे बड़े शहरों में से एक माना जाता था। इसलिए यहाँ बनी ऐतिहासिक इमारतों, संरचनाओं और महलों में इस शहर की प्राचीन संस्कृति की झलक साफ़ देखी जा सकती है।
विभिन्न प्रदेशों और विदेशों से पर्यटक मुख्य रूप से इस शहर की प्राचीन वास्तुकला को देखने के लिए यहाँ आते हैं। मांडू में पर्यटकों के देखने के लिए बहुत कुछ है। हम आपको यहाँ की कुछ प्रसिद्ध जगहों के बारे में बताएंगे। होशंग शाह का मकबरा: यहाँ आप मालवा पर शासन करने वाले पहले मुस्लिम शासक होशंग शाह का मकबरा देख सकते हैं। इस मकबरे की वास्तुकला 15वीं शताब्दी की है जहाँ आप इंडो-इस्लामिक शैली को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। मकबरे के संगमरमर में सुंदर नक्काशी, जालीदार खिड़कियाँ और मकबरे का मुख्य गुंबद इंडो-इस्लामिक वास्तुकला का एक सुंदर उदाहरण है।
तवेली की हवेली: तवेली हवेली का निर्माण मालवा के शासकों के शाही हाथियों और घोड़ों को रखने और खिलाने के लिए मांडू में किया गया था। यह इमारत न केवल आकर्षक है बल्कि ऐतिहासिक भी है। यह महल इंडो-इस्लामिक शैली में बना है, इस इमारत का निर्माण काल भी 15वीं शताब्दी है।
मांडू के प्रसिद्ध जैन मंदिर: प्राचीन शहर मांडू में खूबसूरत सफ़ेद जैन मंदिरों को देखने के बाद शांति का एहसास होता है। यह मालवा में बना जैन मंदिरों का सबसे बड़ा समूह है। जैन तीर्थंकरों को समर्पित उन मंदिरों का निर्माण भी 15वीं शताब्दी का माना जाता है।
चंपा बावड़ी: यह 15वीं शताब्दी की एक प्राचीन मांडू बावड़ी है। इस बावड़ी का निर्माण भी मालवा के सुल्तान महमूद शाह खिलजी के शासनकाल में हुआ था। इस बावड़ी को बनाने का उद्देश्य गर्मी के मौसम के लिए पानी का भंडारण करना था। इस चंपा बावड़ी के बगल में एक स्पा और एक विश्राम गृह भी बनाया गया था।
हिंडोला महल: इस महल को ‘झूलता महल’ के नाम से भी जाना जाता है। इस महल का निर्माण काल भी 15वीं शताब्दी है जो देखने में बहुत आकर्षक है।
हिंडोला महल की वास्तुकला में इस्लामी और अफ़गान प्रभाव महसूस किए जा सकते हैं। इस महल की नक्काशी बहुत जटिल और सुंदर है और इसकी गुंबददार संरचना भी पर्यटकों को आकर्षित करती है।
जामा मस्जिद: इसका निर्माण 15वीं शताब्दी में मालवा के सुल्तान होशंग शाह के शासनकाल में हुआ था। इस मस्जिद में इंडो-इस्लामिक वास्तुकला का नजारा देखने को मिलता है।
बाज बहादुर महल: इस महल का निर्माण 16वीं शताब्दी में मांडू के अंतिम राजा बाज बहादुर ने करवाया था। यह महल खास तौर पर संगीत और कला प्रेमियों की पसंदीदा जगह के तौर पर जाना जाता है।
रानी रूपमती मंडप: मांडू विंध्याचल पहाड़ी के शीर्ष पर बना एक बहुत ही सुंदर, ऐतिहासिक और आकर्षक स्मारक रानी रूपमती मंडप के नाम से जाना जाता है। इस मंडप का निर्माण भी 15वीं शताब्दी में हुआ था।
जहाज महल: मांडू में स्थित “जहाज महल” का निर्माण काल भी 15वीं शताब्दी है, जहाज महल वास्तुकला का एक सुंदर उदाहरण है। इस महल का निर्माण मालवा के गियासुद्दीन खिलजी सल्तनत के दौरान हुआ था।