ईवीएम- वीवीपैट पर चुनाव आयोग: चुनाव में हारे हुए दावे को लेकर चुनाव आयोग ने बड़ा फैसला लिया है। अब हारे सामने आए ईवीएम डेटा और वीवीपैट पर्चियों का मिलान। लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और अधिक मजबूत बनाने के लिए चुनाव आयोग ने एक और परियोजना शुरू की है। इस प्रोविजन के अनुसार मतदान में गड़बड़ी के संकट वाले (मतदान और शब्दावली से) किसी भी मतदान केंद्र की कोई भी जांच के लिए चुना जा सकता है, ठोस डेटा और वीवीपैट पर्चियों का मिलान किया जा सकता है।
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लोकसभा चुनाव (लोकसभा चुनाव) के नतीजे (4 जून) आने के बाद से अब तक 8 वोटों के आंकड़े और नामांकन के आवेदन आ चुके हैं। इनमें से मशीन, डेटा, काउंट, मिलान और माइक्रोचिप से विकलांगता या विकलांगता की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
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आयोग ने एसओपी जारी कर चुनाव में आने वाले दूसरे और तीसरे स्थान पर ये सुविधा देने की घोषणा की है। किसी भी हलके में वीवीपैट सेट की कुल संख्या के पांच प्रतिशत का मिलान स्पष्ट रूप से किया जाता है। इस संख्या के लॉगिन में ही अभ्यर्थी अपनी विशिष्ट पसंद के बूथ और गोदाम की क्रम संख्या दर्ज कर पूछताछ का चौथा भाग शुल्क चुकाकर कर सकते हैं।
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अग्रिम जमा करना
आयोग के अधिकारियों का कहना है कि चुनाव के दौरान 40 हजार रुपये और उस पर 18 प्रतिशत का डॉक्यूमेंट जमा करना होता है। आयोग के तकनीकी विशेषज्ञ की टीम सभी के सामने डेटा सत्यापन करती है। अगर शिकायत सही मिली तो दस्तावेज और पर्चियों के बीच असलियत साबित हो गई तो कार्रवाई होगी और नोटों को पूरा शुल्क वापस लिया जाएगा। याचिका सही नहीं हुई तो शुल्क ज़ब्त हो जाएगा।
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100% मिलान नहीं होगा
बता दें कि अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर के समर्थकों की 26वीं सदी में जज की बातें आईं, तीन साल से सात दिन के अंदर उन्हें एक साथ रहना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल को अहम फैसले में साफ कर दिया था कि वोटिंग मशीन से ही है। महोबा-वीवीपैट का 100 प्रतिशत मिलान नहीं होगा। डॉक्यूमेंट्री और वीवीपैट की डॉक्युमेंट्री 45 दिन तक सुरक्षित रहेगी। ये पर्चियां बकाया या उनके एजेंट के हस्ताक्षर के साथ सुरक्षित रहेंगे।
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शिकायत सही होने पर खर्च होगा वापस
जस्टिस खन्ना ने कहा कि वीवीपैट वेर स्टूडेंट का खर्चा अकेले को खुद ही उठा लेता है। अगर किसी भी स्थिति में नासिक में स्टॉक डाला गया तो खर्च वापस दिया जाएगा।
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