सेबी ने ट्रेडिंग नियमों में बदलाव किए : भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने ट्रेडिंग के नियमों में कुछ बदलाव किए हैं। नियम में बदलाव के बाद लिस्टेड कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों को ट्रेडिंग में बड़ी राहत मिलेगी। सेबी ने ट्रेडिंग प्लानिंग के खुलेसे और हवाईपट्टी के बीच न्यूनतम कूल-ऑफ अवधि को छह महीने से चार महीने तक कर दिया है। यह ट्रेडिंग प्लानिंग के दौरान खरीद ट्रेड के लिए ऊपरी मूल्य सीमा और बिक्री ट्रेड के लिए ऊपरी बिक्री सीमा की सुविधा प्रदान करता है।
ओवंस की खरीद-बिक्री के लिए 20% मूल्य सीमा (SEBI Changes Trading Rules)
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड ने ट्रेडिंग योजना में शेयर खरीदने या बेचने के लिए 20 प्रतिशत मूल्य सीमा की अनुमति दी है। नियम में कहा गया है, “ट्रेडिंग योजना की मंजूरी के बाद बोनस मुद्दे और स्टॉक डिस्काउंट से संबंधित कार्रवाई की स्थिति में, इनसाइडर नियामक अधिकारी की मंजूरी से भरोसेमंद की संख्या और मूल्य सीमा में समायोजन किया जा सकता है और यह उन स्टॉक एक्सचेंजों पर अधिसूचित है किया जाएगा, जिन पर सूचीबद्ध हैं.
सेबी ने आगे कहा कि ट्रेडिंग योजना लागू न होने की स्थिति में आंतरिक स्रोत को दो प्रारंभिक दिनों के भीतर निर्देशात्मक अधिकारियों को इसकी वजहें बताते हुए जानकारी देनी चाहिए।
ऋण के बाद रखा प्रस्ताव
आपको बता दें कि मार्केट रेगुलेटर ने मार्केट से रिटेल मिलने के बाद ट्रेडिंग प्लान में बदलाव का प्रस्ताव दिया है। सेबी ने कहा कि कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों या प्रमुख प्रबंधकीय कर्मचारियों के पास अपने व्यापार करने के लिए बहुत कम समय होता है, क्योंकि ज्यादातर समय उनके पास स्वतंत्र जानकारी होती है, साथ ही वित्तीय जरूरतों के लिए जरूरी ट्रेडिंग विंडो भी बंद रहती है।
इन नियमों में भी बदलाव की संभावना
आपको बता दें कि पिछले हफ्ते सेबी और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) ट्रेडिंग को लेकर निवेशकों को आगे बढ़ाया था, लेकिन F&O में निवेशकों की दिलचस्पी कम नहीं हुई है। जिसके बाद सेबी डेरिवेटिव ट्रेडिंग के नियमों में कई बदलाव करने की तैयारी कर रही है।
व्युत्पन्न एक औपचारिक वित्तीय अनुबंध होता है जो निवेशक को भविष्य की तारीखों के लिए संपत्ति खरीदने और बेचने की अनुमति देता है। व्युत्पन्न अनुबंधों की समाप्ति तिथि पहले से तय होती है। पिछले कुछ वर्षों में खुदरा विक्रेताओं के कारण इंडेक्स और स्टॉक कीमतों का व्यापार तेजी से बढ़ा है।