चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर 6 जून 2024 को मंडी संसदीय क्षेत्र की नवनिर्वाचित सांसद कंगना रनौत के साथ जो घटना घटित हुई उसकी निंदा की जाए वह कम है और इसलिए कि उसके हाथों में सुरक्षा की जिम्मेदारी है, वे ही यदि आवास में आकर इस प्रकार के कृत्य करते हैं तो उसे कभी माफ नहीं किया जा सकता और इसके कारण न केवल उस स्वाभाविक की प्रतिष्ठा प्रभावित होती है जिसके कारण वे पद्दिठ होते हैं बल्कि उस समुच्चय बिरादरी पर भी उसका आंचल आता है, जो वह दुखद है।
आश्चर्य की बात तो यह है कि इस घटना की निंदा करने के घर उस गैरकानूनी संगठन के नेता उस महिला कांस्टेबल की प्रशंसा कर रहे हैं, जिसने यह कारनामा किया है और उसे न केवल नग्न राशि से सम्मानित कर रहे हैं बल्कि उसे महिमामंडित भी कर रहे हैं। रहे हैं. इस सब के जरिये हम आगे आने वाली पीढ़ी को कुछ संदेश देने जा रहे हैं ? क्या यही हमारे संसार हैं ?
कंगना रनौत ने किसान आंदोलन के संबंध में वजह टिपण्णी की थी यहां अब वह इतनी महत्तरपूर्ण नहीं है, हालांकि कंगना रनौत ने अपना वह ट्विटर डिलीट भी कर दिया था लेकिन क्या हम किसी के विचारों से सहमत नहीं हैं तो उनका प्रतिकार इस प्रकार किया जाना उचित है है ? निश्चित रूप से नहीं, और यदि इस प्रकार कोई भी व्यक्ति, यदि किसी के विचार से सहमत नहीं है और वह अपना प्रतिबद्ध व्यक्त करने के लिए इस प्रकार प्रतिकार करने लगेगा तो यह अराजकता ही कहलायेगा और इसका कोई अंत नहीं होगा।
इस घटना से सुखद रूप से वर्ष 1984 की याद ताजा हो गई, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के सुरक्षा प्रमुख ने ऑपरेशन बल्लू सेक्टर के कारण अपनी ही प्रधानमंत्री को भूल गया था, जबकि उनकी कर्त्तव्यनिष्ठ प्रधानमंत्री की रक्षा करना था और यदि ऐसा होता तो यह एक प्रकार का उदाहरण होता। काम सुरक्षा करना उनका ही आचरण सन्दिग्ध होने जा रहा है, इसलिए समूचे सुरक्षा-तंत्र की विश्वसनीयता संदेह के आधार पर निर्मित हो रही है। इसलिए व्यक्तितत्त्व रूप से मेरा यह कहना है कि ऐसे कृत्यो को हतोत्साहित करना चाहिए न कि उसे महिमामंडित किया जाए।
उक्त घटना के परिप्रेक्ष्य में अब सुरक्षा बलों को भी इस बात की समीक्षा करनी होगी कि इस प्रकार की मानसिकता वाले लोगों को संवेदनशील क्षेत्रों में पदस्थ नहीं करना चाहिए। पुरावस्तु भविष्य में स्थिति और मृत्यु हो सकती है। इस घटना का और भी हैरान करने वाला, दूसरा पहलू यह है कि कांट्रेबल के पक्ष में तो काफी लोग खड़े हो गए हैं और उस पर इनामों की बारिश कर रहे हैं, वहीं उक्त घटना की निंदा या उसके विरोध में कोई आवाज नहीं उठा रही है। है. यहां तक कि बॉलीवुड भी, जो हमेशा ऐसी घटनाओं पर मुखर रहता है, वह भी मौन है।
ऐसी घटनाओं पर चुप रह कर हम कुछ संदेश देना चाहते हैं ? कई बार मौन रहना भी अपराध के पक्ष में बोलने की श्रेणी में हमें खड़ा करता है और यदि हम ऐसी घटनाओं पर प्रतिक्रिया नहीं देंगे तो भविष्य में उसके बहुत ही दूरगामी एवं जलने के परिणाम होंगे, जो हम सभी के नियंत्रण के बाहर रहेंगे।
लेखक – चन्द्र शेखर गंगराड़े, पूर्व मुख्य सचिव, छत्तीसगढ़ विधानसभा
(यह लेखक के निजी विचार हैं)