कृषि टिप्स: आयुर्वेद विश्व की सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्धति है और इसमें औषधीय गुणों का उपयोग किया जाता है। देश की कई नामी कंपनियों के आयुर्वेद उत्पाद विश्वभर में प्रसिद्ध हैं और सालभर उनकी मांग बनी रहती है। ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में किसानों को 5 महत्वपूर्ण औषधीय पौधों की जानकारी दी जा रही है। किसान अपने क्षेत्र की जलवायु, मौसम और भूमि के आधार पर इनकी खेती कर सकते हैं। कई राज्यों में सरकार की ओर से सब्सिडी और अनुदान भी दिया जाता है।
खरीफ के मौसम में अब धान की जगह औषधीय फसलों की खेती करना चाहते हैं तो ये 5 फसलें सर्वोत्तम विकल्प हो सकती हैं। इन फसलों का निर्माण आयुर्वेदिक औषधियों के उपयोग से किया जाता है। इसीलिए बाजार में ये काफी महंगे दामों में बिकती हैं। जिससे किसानों को ज्यादा फायदा होगा.
लेमन ग्रास की खेती
लेमन घास की खेती करके अच्छा लाभ कमाया जा सकता है। इसका उपयोग कई औषधियों के निर्माण में भी किया जाता है। इसीलिए इसे औषधीय पौधा कहा जाता है। इसे कम पानी वाले क्षेत्र एवं बंजर जमीन में भी आसानी से जोड़ा जा सकता है। इसकी खेती का सबसे अच्छा समय जुलाई से फरवरी का है। इसे एक बार में 6 से 7 बार काटा जा सकता है। इसे बनाने में 90 से 150 दिन का समय लगता है। किसान को यह ध्यान रखना चाहिए कि जमीन को 5 से 8 इंच ऊपर से काटा जाना चाहिए। इसकी पेट्रोल से निकासी होती है जो पेट्रोल में 1000 रुपये से 2500 रुपये प्रति लीटर की दर से बिकता है। किसान इसकी खेती करके सालाना 1.5 से 2 लाख रुपए तक कमा सकते हैं।
मेंथा की खेती
मेंथा की खेती करके किसान अच्छा दबाव कमा सकते हैं। क्योंकि मेंथा की फसल अन्य फसलों की तुलना में अधिक मुनाफे वाली होती है। इससे निकलने वाले तेल की देश-विदेश में भी खूब मांग रहती है। जिससे इसका तेल 2 हजार से 3 हजार रुपए तक बिकता है। मेंथा की खेती करने का सबसे उपयुक्त समय फरवरी से मार्च का है। इस माह में खुदाई करने के बाद 100 से 120 दिनों के अंतराल पर यह फसल तैयार हो जाती है। यह भी एक खासियत है कि इसे दो बार काटा जा सकता है। रबी की फसल की कटाई के बाद इसकी बुवाई की जाती है। किसान मेंथा फसल की खेती करके अच्छा लाभ कमा सकते हैं।
सहजन की खेती
एक सहजन जिसे अंग्रेजी भाषा में ड्रम स्टिक कहा जाता है एवं इसका वानस्पतिक नाम मोरिंगा है। इस फसल की खेती करके किसान अच्छा मुआवजा कमा सकते हैं। क्योंकि इसका उपयोग सब्जी के साथ ही कई दवाओं के निर्माण में किया जाता है। इसके पत्ते, छाल, फल, जड़ सभी हमारे लिए बेहद उपयोगी होते हैं। इसका बीज से तेल भी निकाला जाता है. इसकी खेती के लिए सबसे पहले छोटे-छोटे गढ्ढों में बीज की खुराक की जाती है। उसके बाद एक माह में पौधे तैयार हो जाते हैं, इसलिए पहले से तैयार गढ्ढों में इसकी पत्तियां तैयार करने का सबसे उपयुक्त समय जून से सितम्बर तक माना जाता है। एक हेक्टेयर में खेती करने के लिए 500 से 700 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। भोजन के साथी औषधीय गुणों के निर्माण में उपयोग होने के कारण यह काफी तीव्र दामों में बिकता है। इसकी खेती करके किस अच्छा लाभ कमाया जा सकता है।
मूसली की खेती
औषधि गुणों से भरपूर मूसली का पौधा हमारे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। वह कहीं ज्यादा यह हमारी आय बढ़ाने का काम करता है. इसकी खेती करके किसान अच्छा कमा सकते हैं। इसका उपयोग आयुर्वेदिक औषधियों के निर्माण में किया जाता है। इसीलिए बाजार में इसकी मांग अधिक होने के कारण किसान इसकी खेती करके अच्छा दबाव कमा सकते हैं। इसके एक गुच्छे में लगभग 50 कंद होते हैं। इसकी फसल 135 से 150 दिनों के अंतराल पर तैयार हो जाती है। आईवीएफ मोटर्स 1000 से 1500 प्रति किलो के दर से इसकी बिक्री भी होती है। इसकी खेती का सबसे उपयुक्त समय जुलाई के महीने माना जाता है। इस माह में बारिश शुरू हो जाती है जो इसके लिए बहुत कष्टदायक होती है।
शतावरी की खेती
औषधि गुण से भरपूर शतावरी हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी होती है। किसान इसकी खेती करके अच्छा कमा सकते हैं। इसकी खेती करने का सबसे उपयुक्त समय जुलाई के महीने माना जाता है। इस माह में इसकी खेती करने के बाद 18 महीने में यह फसल तैयार होती है। जो हार्बर में 50 से 60 हजार कम्पनियों की दर से आसानी से बिक जाती है। इसकी खेती करके किसान अच्छा कमा सकते हैं।