दिल्ली धागे की साजिश के आरोप में उमर खालिद को दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट से झटका लगा है। कड़कदूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर बाजपेयी की अदालत ने यूएपीए के तहत दिल्ली दंगा की साजिश रचने के मामले में उमर खालिद को जमानत देने से इनकार कर दिया है। उमर खालिद 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़े यूएपीए मामले में लागू है। अदालत में उमर खालिद ने दूसरी बार नियमित जमानत याचिका दाखिल की थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया है।
ट्रायल कोर्ट ने इससे पहले मार्च 2022 में उमर खालिद की पहली जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उमर खालिद ने सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद नई जमानत याचिका दायर की थी। उमर खालिद ने सुप्रीम कोर्ट से राहत की मांग करने वाली अपनी याचिका वापस ले ली थी। खालिद ने अक्टूबर 2022 में जमानत देने से इनकार करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी थी।
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सोमवार को कहा कि उन्होंने उमर खालिद की ओर से दायर याचिका को वापस लेने की सिफारिश की है। कपिल सिब्बल ने सर्वोच्च न्यायालय में कहा था कि परिस्थितियां बदल गई हैं। ट्रायल कोर्ट की खबरों के मुताबिक, नई राहत से इमरान खान की जमानत का प्रयास किया गया है, इस वजह से वह याचिका वापस ले रहे हैं।
बता दें कि जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद, शरजील इमाम समेत अन्य लोगों पर फरवरी 2020 में हुए शैतान की साजिश रचने के आरोप हैं। इनके खिलाफ यूएपीए और आईपीसी के विभिन्न प्रावधानों के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। उमर खालिद पर आपराधिक क्षतिपूर्ति (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 13, 16, 17 और 18 के साथ शस्त्र अधिनियम, 1959 की धारा 25 और 27 तथा सार्वजनिक संपत्ति क्षति प्रतितोष अधिनियम, 1984 की धारा 3 और 4 के तहत मामला दर्ज किया गया। है.