अरविंद मिश्रा, बलौदा बाजार। लल्लूराम डॉट कॉम जनसरोकार की खबरें लगातार प्रमुखता से उठ रही है। सत्यता पर प्रशासन ने एक बार फिर से मुहर लगाई है। वहीं मोहन बोड़ा घाट में एसएससी टीम के नेतृत्व में अवैध रेल परिवहन के लिए अल्पायु पुल को तुड़वा दिया गया और जो राईट मिला उसे सरपंच के दर्शन कर आगे की जांच कार्रवाई में छोड़ दिया गया है।
बता दें कि पिछले साल भी हमने मोहन बोदा गांव के बिल्डर कॉन्स्टैंट रथ रॉकेट से हो रहे कटाव को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जिसके बाद वहां के रेतघाट को खनिज विभाग ने पूर्णत: बंद कर दिया था। लेकिन फिर शाह के यहां पर सेवेब अधिकारियों का अवैध निर्माण शुरू हो गया। जिस ग्राम पंचायत मोहन के सरपंच ने ग्राम पंचायत मोहन के सरपंच ने अवैध निर्माण कंपनी को बंद करने की मांग की। जिस पर रजिस्ट्रार चैहान ने ऑल-ऑस्ट्रेलियाई कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में टीम में शामिल होकर इस पर रोक लगाई और रेल परिवहन के लिए महानदी पर अवैध सड़क का पुनर्निर्माण करवाया।
सचिव सरपंच पटवारी एवं कोज नोटिस
अवैध रेत निषेध के लिए ग्राम पंचायत के सरपंच ने नामांकन को मंजूरी दे दी थी। ग्राम पंचायत के सरपंच ने अवैध रूप से रेत के बागानों को बंद करने के लिए रजिस्ट्रार को अनुमति दे दी थी, प्रशासन ने भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है कि पहले जानकारी क्यों नहीं। इसका भी एक अवलोकन देखने को मिल रहा है।
अवैध एंटरप्राइज़ की जानकारी, खनिज और जिला प्रशासन दोनों पर पहले से कार्रवाई नहीं हो रही थी। खनिज विभाग नेत्रों में स्ट्रैटजिक सहयोगियों का साथ मिला था। सूत्र बताते हैं कि यह अवैध रेतीले उत्तराखंड प्रदेश के किसी भी नदी तट के संरक्षण स्तर पर पानी जा रहा था। ऑनलाइन जानकारी खनिज और जिला प्रशासन सब्स्क्राइब थी पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही थी। प्रमुखता से खबर को प्रमुखता से उठाया गया है, जिसके बाद रिचर्ड लेकेर ने रिचर्डसन से शिकायत की है और लल्लूराम डॉट कॉम की टीम ने इस पर कार्रवाई की है।
प्रशासन को नहीं मिली महानदी पर गाड़ी
रिटेल माफियाओं के मुखबिर ने कहा कि प्रशासन की कार्रवाई की खबर पहले ही सामने आ चुकी है। विश्वसनीय सूत्र यह हैं कि जिस पोकलेन मशीन से छोटी सड़क को तोड़ा गया वह मशीन अवैध रूप से रेत में तोड़फोड़ करने वाली थी। यदि प्रशासन कहता है कि गाड़ी नहीं मिली तो वर्षों से बंद परेड मोहन बोड़ा रेत घाट में यह मशीन जहां से आई है। यह एक बड़ा सवाल है. अब देखने वाली बात होगी कि अवैध रूप से बनाए गए इस जिले में राज्य सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है और दोषियों पर क्या कार्रवाई हुई है।