आशुतोष तिवारी, बीजापुर। बीजापुर जिले के अंतर्गत आने वाले इंद्रावती टाइगर प्रोजेक्ट के महाराष्ट्र सीमा क्षेत्र से लगे सैंड्रा और मैड के जंगल में 17 वन भैंसों का झुंड देखा गया है। पहली बार इतनी बड़ी संख्या में वन भैसों की नस्ल के सर्वेक्षण की जांच की जाएगी। इसे भी पढ़ें : सीएम विष्णुदेव साय ने सोनिया गांधी के बयान पर पलटवार करते हुए कहा- इनके पास कोई आजादी नहीं, चुनाव में कांग्रेस की होने वाली है और दुर्गति…
छत्तीसगढ़ में इंद्रावती टाइगर परियोजना में ही शुद्ध नस्ल के वन भेसे बचे हुए हैं, इसकी सीमा महाराष्ट्र और तेलंगाना राज्य से भी मिलती है, ऐसे में यहां की जातियां और नस्लें शुद्ध हैं या नहीं इसके परीक्षण के लिए अब सीएनबी के वन विभाग के साथ इन वन बफेलो की पताप्लाटगा के माध्यम से शुद्ध नस्ल का डीएनए परीक्षण। इसके लिए सेल्यूलर एंड मैलेक यूनिवर्सल बायोलॉजी लैब के लिए हैदराबाद के सेंटर में डीएनए की जांच कर अनुवांशिकी से संबंधित जानकारी जोड़ी जाएगी।
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सीएमबी लैब के विशेषज्ञ डॉक्टर संभाषी राव ने हाल ही में इंद्रावती टाइगर रिजर्व में छत्तीसगढ़, ओडिशा, तेलंगाना, महाराष्ट्र के वन अधिकारियों के साथ समन्वित बैठक में एक शानदार तैयारी की बात कही है। बता दें कि प्रदेश में कुल 37 वन भैसे हैं, इनमें से 17 इन्द्रावती बाघ परियोजना में पाये गये हैं। इनमें सबसे अधिक शुद्ध नस्ल के होने का अनुमान है।