वन्य क्षेत्र में वनोपज के व्यापार पर संकट के बादल, चीन में समुद्र तट की आय का जरिया पाया जा सकता है

सुरेश परतागिरी, बीजापुर। जंगल में वनोपज के व्यापार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों से हाट होटल में वनोपज की आवक में कमी आई है। तीसरे के अनुसार वनोपज में कमी का कारण घटते जंगल और मौसम में बदलाव है। यूक्रेन में अंगूर की भी कमी है. बता दें कि जंगल से एकत्रित वनोपज के लिए जंगल का मुख्य केंद्र जंगल जंगल में छोटे हाट बाजार है। इसके अलावा सरकारी समितियां भी विकेंद्रीकृत केंद्र हैं।

इस साल युनिवर्सिटी की आवक में गिरावट दर्ज की गई है। इसी तरह चिरौंजी और इमली की भी कम मात्रा में टोपी बनी हुई है. ये चिंता का विषय है. आदिवासियों की माने तो ​डिमांड ग्रोथ से डैम बढ़ रहे हैं। स्थिति यही रही तो जंगल में आने वाले कुछ सागर में बने हॉटबोट में वनोपजों के व्यापार का ठप्पा लग सकता है। वनोपज पर अनुमोदित मंजूरी से उनकी आय का ज़रिया​ छीना जा सकता है।

इस मामले में बीजापुर वनमंडल के अधिकारी रामकृष्णम ने कहा कि दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन है, जिसका वन्यजीव क्षेत्र भी मौजूद है। इसके अलावा स्थानीय कारक भी है, जिसके कारण इस साल इमली के उत्पादन में कमी आई है। साथ ही बेहतरीन​ विचारधारा से भी जज़्बाती हाट मार्केट में नहीं आ रहे हैं। इस कारण से वनोपज की कमी हो जाती है।