छत्तीसगढ़ समाचार: गायब हो गई थी 2 करोड़ की धान की बोरियां…टेक्नोलॉजी में लीपापोती विभाग!

छत्तीसगढ़ समाचार:परफॉर्मेंट पात्र। गरियाबंद. समस्या केंद्र से धान की बोरियां गुमशुदा मामले में अब विभाग लीपापोती में अंतिम नजर आ रही है। इस मामले के पूरे खुलासे के 18 दिन बाद शॉर्टेज में कमी आई है, लेकिन अब भी 10300 मीट्रिक टन का पुलव अधर में लटक गया है।

जिले के 90 से 40 से अधिक आबादी वाले केंद्र में 16000 बोरा धान गायब होने का खुलासा पिछले दिनों हुआ था। इसकी कीमत करीब 2 करोड़ से ज्यादा थी. मामला सामने आने के बाद कलेक्टर दीपक अग्रवाल ने स्टायर डिपार्टमेंट और सहाराकी बैंक के अध्ययन को जांच रिपोर्ट पेश की थी। रजिस्ट्रार ने यह भी कहा था कि कोई भी इंजीनियर नहीं है या बोर नहीं हुआ है तो वीक भर के अंदर शॉर्टेज को निरंक करने का काम भी दे दिया था।

लेकिन इस बीच विभाग ने गायब बोरे को लेकर अपनी रिपोर्ट में कई डायपर सफाई करने की कोशिश की जा रही है, परदा डलाने की तरह-तरह की पाइपलाइन दे रहे हैं लेकिन कोई सफाई काम नहीं आई।

बैंक के लिए 2 करोड़ से अधिक वेतन भुगतान पर रोक लग सकती है

रजिस्ट्रार ने मामले में एसोसिएशन व्यवस्था की निगरानी का समर्थन करते हुए सहयोगी बैंक को ही अंतिम चरण में पाया। 9 अप्रैल को पंजीकृत खाद्य शाखा से नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण के सचिव को जारी पत्र में कहा गया था कि एसोसिएट बैंक या स्टॉक एसोसिएशन अपनी जिम्मेदारी निर्वाह नहीं कर सकेंगे। शासन के निर्देशों के अनुसार सभी असंतुष्टों को जीरो शॉर्टेज में कहा गया पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। केंद्र में समष्टि की त्यारी,भौतिक पुस्तकालय,बारादाना व्यवस्था,भंडारण एवम सुरक्षा व्यवस्था में समता रुची नहीं ली गई, बिना डेनज के स्टेक में कई योजनाओं का निर्माण किया गया जिससे बारिश में भीगने से धान की गुणवता प्रभावित हुई।

पत्र में लिखा गया है कि सहयोगी बैंक को मार्कफेड द्वारा पर्यवेक्षण के लिए 5 रुपये प्रति कंपनी के खाते से दी जाने वाली प्रति संपत्ति राशि पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। इस पत्र की पुष्टि करते हुए बताया गया है कि जिले में 48.61 लाख टन टन धान का उत्पादन हुआ है, प्रति एकड़ राशि 2 करोड़ से अधिक है जिसका भुगतान अवकाश के लिए पत्र लिखा गया है।

सहायक विभाग ने साधी शैले, फोन नहीं उठा रहे सहायक पंजीयक

केस के खुलासे के बाद से मुद्रा विभाग की मुद्रा में है। पिछले 18 दिनों में लापता धान बोरे की संख्या 16700 से घटकर 2600 हो गई है। 17 दिनों में लापता धान बोरे की संख्या 0 बताई गई है। 57 केन्द्रों में उठाव 99.5 प्रतिशत तक पहुंच गया है। लेकिन 13 केंद्र ऐसे भी हैं जहां लापता धान बोरे को रिकार्ड खुदाई करने में विभाग के खातों से छूट दी गई है। रिपोर्ट के मुताबिक अब भी 10300 मीट्रिक टन धान का उठाव शेष है। समस्या के अंत में काले पीले को वाइट करने के विभाग ने सीपेज बोरा यानी अटारी बोरा की मांग रखी है जिसे अब तक मंजूरी नहीं मिली है। मामले में बात करने के लिए सहयोगीता के सहायक पंजीयक उषा ध्रुव को कॉल किया गया और उन्होंने मोबाइल रिसीव नहीं किया।