रवि गोयल, सक्ती। लाइब्रेरी का नाम सुनकर आपके मन में एक ही तस्वीर आएगी जिसमें एक बड़े से कमरे में सारी किताबें और वहां बैठे लोग शामिल होंगे। मगर सक्ती जिले के मालखरौदा में बना पुस्तकालय केवल नाम का ही पुस्तकालय है। यहां सालों से किताबें ही नहीं आई. शिष्य यहाँ अवश्य आते हैं, परन्तु अपनी पुस्तक अपने साथ लेकर आते हैं। क्योंकि इस लाइब्रेरी में गिनती की ही किताबें हैं, वो भी किसी काम की नहीं। केवल लाइब्रेरी की आलमारी की शोभा बढ़ाई जा रही हैं।
यहां के प्रभारी ने बताया कि दो साल पहले इस लाइब्रेरी की शुरुआत हुई थी और उसी समय यहां किताबें आई थीं। उसके बाद लाइब्रेरी पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। यहां कुछ छात्र आते हैं, जो खुद की किताबें और उपकरण लेकर आ रहे हैं। लाइब्रेरी के भवन से पानी टपकने की समस्या बनी हुई है। पुस्तकालय में न तो सफ़ा-सुथरा शौचालय है न ही प्रार्थना की व्यवस्था है।
मालखरौदा के पुस्तकालय में आने वाले छात्रों ने बताया कि वे बाज़ार परीक्षण की तैयारी कर रहे हैं, सूचीबद्ध पुस्तकें वे स्वयं लेकर आते हैं। पुस्तकालय आने का एकमात्र लाभ यह है कि वे शांति से अध्ययन कर सकते हैं। लाइब्रेरी में रिसर्च की कमी है जिसके कारण बहुत से छात्र वहां नहीं आते हैं। साथ ही पीने का पानी और शौचालय की समस्या भी बनी हुई है।
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