कभी टीचर तो कभी समाज सेवा, क्या आपने देखा अपने जमाने की बोल्ड बाला मुनमुन सेन के ये अवतार?

Moon Moon Sen Unknown Facts: फिल्म इंडस्ट्री को लेकर ऐसा माना जाता है कि किसी एक्ट्रेस की शादी हो जाने पर उसका करियर खत्म हो जाता है, लेकिन एक ऐसी एक्ट्रेस भी मौजूद हैं, जिसने यह धारणा पूरी तरह गलत साबित कर दी। हम बात कर रहे हैं मुनमुन सेन की। वह हर साल 28 मार्च को अपना जन्मदिन सेलिब्रेट करती हैं। आज उनके जन्म पर आपको उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें लगी हैं। बचपन से मिले सिनेमा के साथ मुनमुन का जन्म कोलकाता के एक रईस परिवार में साल 1954 में हुआ था। मुनमुन की मां सुचित्रा से बंगाली फिल्म इंडस्ट्री से ताल्लुक ऋतिक थे। वहीं, उनके दादाजी किसी समय त्रिपुरा सरकार में मंत्री बने थे। एक्ट्रेस ने शिलांग और कोलकाता में अपनी पढ़ाई की। इसके बाद वे आगे की शिक्षा हासिल करने के लिए लंदन चले गए। मुनमुन छोटी उम्र से ही अपनी मां से काफी प्रभावित हुई थीं। उन्हें सुचित्रा की सलाह और लोगों द्वारा उनकी अपेक्षाएँ पसंद आई थीं। यही कारण था कि उनकी रुचि अभिनय की ओर बढ़ती चली गई। इन क्षेत्रों में भी कामाया नाम अध्ययन-लेखन के अलावा मुनमुन को चित्रकारी का भी काफी शौक था। उन्होंने मशहूर पेंटर जेमिनी रॉय से पेंटिंग्स की बारीकियों को सीखा। इसके बाद वह इसे बच्चों को भी सिखाने लगीं। बालीगंज के एक सरकारी स्कूल में वह अंग्रेजी के साथ ग्राफिक्स के हुनर भी सिखाते थे। साथ ही समाज सेवा में भी उनकी काफी रुचि थी। शादी के बाद शुरू की एक्टिंग साल 1978 में मुनमुन की शादी देव वर्मा से हुई थी। वह राजघराने से ताल्लुक रखते हैं। आप जानकर हैरानी करेंगे कि शादी के बाद मुनमुन ने एक्टिंग में डेब्यू किया। साल 1984 में आई फिल्म के अंदर से उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की। फिल्म भले ही कुछ खास कमाल न दिखा सकी हो, लेकिन हर तरफ मुनमुन की चर्चा जरूर होने लगी। दरअसल, अपनी पहली ही फिल्म में मुनमुन ने जोरदार बोल्ड सीन दिया, जिसकी वजह से काफी हड़बड़ी भी हुई। 80 के दशक में वह अपने ग्लैमरस अंदाज की वजह से काफी फेमस हुईं। हिंदी के अलावा उन्होंने बंगाली, तेलुगू, मराठी, मलयालम, तमिल, कन्नड़ फिल्मों में भी काम किया। राजनीति में भी आजई लकी एक्टिंग के अलावा वह राजनीति में भी अपनी किस्मत वाले हैं। साल 2014 में वे ममता बनर्जी की पार्टी कार्यकर्ता कांग्रेस में शामिल हुईं और 15 अप्रैल को चुनाव लड़ीं। इस चुनाव में उन्होंने नौ बार के कम्युनिस्ट सांसद को भारी मतों से हराया। हालांकि, जीत का निशान वह जारी नहीं रख सकीं और 2019 के चुनाव में आसनसोल सीट पर बाबुल सुप्रियो से चुनाव हार गए। इंदौर में तापसी पन्नू के खिलाफ दर्ज हुई शिकायत, सनातन धर्म की छवि को ठेस पहुंचाने का आरोप